रांची। रांची की नीतू ने गरीबी को करियर की राह में आड़े नहीं आने दिया और प्रतिभा की बदौलत इंडिया कैंप में जगह बनायी। नीतू लिंडा झारखंड की उन सात बेटियों में शामिल हैं, जिन्होंने अंडर-17 विश्वकप फुटबॉल चैंपियनशिप के लिए जगह बनायी है। यह नीतू के लगन और परिश्रम का ही परिणाम है, जिससे वह इस मुकाम तक पहुंच सकी।
नीतू का परिवार सरकारी राशन से चलता है। उसके भाई बहन मजदूरी करते हैं लेकिन नीतू ने भारत के लिए विश्वकप खेलने का सपना साकार कर सबका मान बढ़ा दिया है। इससे न केवल उनके परिवार में खुशी है, बल्कि पूरे कांके प्रखंड में उत्साह का माहौल है। नीतू की मां नहीं है।
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उल्लेखनीय है कि झारखंड की सात जूनियर महिला खिलाड़ी का चयन अंडर-17 विश्वकप फुटबॉल चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम के कैंप में हुआ है। इनमें गोलकीपर अंजली मुंडा (रांची), डिफेंडर सलीना कुमारी (गुमला), सुधा तिर्की, अष्टम उरांव (लोहरदगा), पूर्णिमा कुमारी (सिमडेगा), अंकिता तिर्की (गुमला), विंगर अनिता कुमारी (रांची) और मिडफिल्डर नीतू लिंडा (रांची) शामिल है। भारतीय टीम का प्रशिक्षण जमशेदपुर में 23 अप्रैल से 31 मई तक चलेगा।
यह झारखंड के लिए बहुत ही गर्व का विषय है कि पूरे भारत से चुनी गयी 33 खिलाड़ियों में से झारखंड की सात खिलाड़ियों को कैंप में शामिल किया गया है। जानकारी के अनुसार नीतू अपने पांच भाई बहनों के साथ कांके के हलदाना गांव में रहती है। नीतू पहले अपने प्रखंड के मैदान में ही अभ्यास करती थी। इस दौरान उसके भाई ने खेलने से मना कर दिया था लेकिन आज उसे घर से कभी सदस्य सपोर्ट कर रहे हैं।
उसके पिता सोहराय उरांव इस समय काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि नीतू ने रांची ही नहीं, पूरे झारखंड का नाम रोशन किया है। वह अच्छा खेले और आगे बढ़े। नीतू लिंडा झारखंड टीम के चयन ट्रायल में वह चयनित होने के बाद राष्ट्रीय प्रतियोगिता में झारखंड के लिए खेल चुकी है। 2020 में भारत की मेजबानी में होने वाले अंडर-17 वर्ल्ड कप फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए गोवा में इंडिया टीम का कैंप लगाया गया था। इसमें नीतू शामिल थी।
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लॉक डाउन के बाद विश्व कप स्थगित कर दिया गया। अब यह प्रतियोगिता इसी साल प्रस्तावित है। इससे पहले नीतू जमशेदपुर में आयोजित इंडिया कैंप में भी शामिल हो चुकी है। बचपन से ही फुटबॉल को लेकर दीवानी नीतू कांके प्रखंड के हलदाना गांव की रहने वाली है। नीतू इससे पहले भी अंडर-18 और अंडर-19 में भारतीय महिला फुटबॉल टीम में शामिल होकर शानदार प्रदर्शन कर चुकी है।
अंडर-18 जमशेदपुर में आयोजित सैफ चैंपियनशिप में नीतू ने दो गोल कर सभी को चौंका दिया था। इसके बाद बांग्लादेश में आयोजित अंडर-19 सैफ चैंपियनशिप में भी उसने दो गोल किए थे। फुटबॉल में मिडफील्डर की तेजतर्रार खिलाड़ी नीतू ने चौथी कक्षा से ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था। उसने कांके के ऑस्कर फाउंडेशन से फुटबॉल खेलना सीखा। फिलहाल, नीतू रांची के मोरहाबादी के साई में ही रहकर फुटबॉल का प्रशिक्षण ले रही है।
तीन भाई और तीन बहनों में सबसे छोटी नीतू फिलहाल गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल बरियातू में 11वीं की छात्रा है। नीतू जब नौ साल की थी, तभी उसकी मां गुजर गयी। नीतू के पिता के पास थोड़ी बहुत खेत है लेकिन उसमें ज्यादा खेती नहीं होती। लिहाजा बड़े भाई बहनों की मेहनत और छोटे-मोटे रोजगार से ही घर का गुजारा चलता है।
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